अस्सलामु अलैकुम प्यारे इस्लामी भाइयों और बहनों!
सब तारीफ़ अल्लाह के लिए जो सारे जहान का मालिक और पालनहार है. जिसने अपने बन्दे आदम को मुश्ते ख़ाक से पैदा किया फिर उसे दुनिया पर भेजा और दुनियावी निज़ाम चलाने के अपने खास रसूलों और नबियों को उनमें पैदा फ़रमाया. और अपने ख़ास और महबूब बन्दे को अपना आखरी रसूल बनाया और चुनी हुई शरीअत इस्लाम अता फरमाई. हम सबको उस आखरी रसूल की चुनी हुई उम्मत में पैदा फ़रमाया. हमें अपने अल्लाह और उसके रसूल की बातों को मानना और उस पर अमल करना है. फिर उसी अल्लाह के पास लौट कर जाना है.
अल्लाह की तमाम दुरूद और सलाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर उनकी आल पर और तमाम असहाब पर तमाम शुहदा – सालिहीन और मुक़र्रब बन्दों पर.
अल्लाह का अहसान व शुक्र है कि उसने मुझ नाचीज़ को इस बात के लिए चुना कि उसके महबूब रसूल की 40 बातें (अहादीस मुबारकः) को चुन कर लोगों तक पहुँचाऊँ. इस तरह मैं भी इस मुहिम में जुड़ गया हूँ जो ऐसा पहले भी करते रहे हैं.
यह हदीस अली बिन अबी तालिब, अब्दुल्ला बिन मसूद, मुआद बिन जबल, अबू अल-दर्दा, इब्न उमर, इब्न अब्बास, अनस बिन मलिक, अबू हुरैरा और अबू सईद अल-खुदरी के ज़रिये हम तक पहुंचाई गयी है। अल्लाह उन सभी पर अपनी रहमत नाजिल फरमाए, कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: "जो कोई भी मेरे लोगों (मेरी उम्मत) के लिए उनके धर्म से संबंधित चालीस हदीस को याद करता है और उसकी हिफाज़त करता है, अल्लाह उसे क़यामत के दिन न्याय करने वालों और आलिमों के साथ उठाएगा."
इसी तरह और भी बहुत सी अहादीस में इसकी अलग – अलग तरह से तारीफ़ की गयी है.
यहाँ जो चालीस अहादीस का ज़िक्र है वो हमें अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में हमें उतार लेना चाहिए और उन हिकयतों को हमेशा याद रखना चाहिए. इन हदीसों को पूरा नहीं बल्कि इसका मफहूम लिखा गया है ताकि याद रखने में आसानी हो, ज़्यादा जानकारी के लिए हदीस की किताबों में इसे पूरा पढ़ा जा सकता है.
अल्लाह रब्बुल इज्ज़त से यह दुआ है हमारी मेहनत को कुबूल फरमाए और इसमें जो भी गल्तियाँ हुई हो उन्हें मुआफ फरमाए. और अपने हबीब की हर छोटी – बड़ी बातों को मानने और उस पर अमल करने की तौफीक अता फरमाए.
Hadees 1.
तुम में बेहतरीन वह है जिनके अख़लाक़ अच्छे हों.
तिरमिज़ी शरीफ़ – 5575
Hadees 2.
जो खामोश रहा उसने निजात पाई.
तिरमिज़ी शरीफ़ - 2425
Hadees 3.
जो रहम नहीं करता उस पर रहम नहीं किया जाता.
मुस्लिम शरीफ़
Hadees 4.
जो लोगों का शुक्र अदा नहीं करता वह अल्लाह का भी शुक्र अदा नहीं करता.
अबूदाऊद शरीफ़ - 4177
Hadees 5.
मुसलमान को गाली देना गुनाह है और उससे जंग कुफ्र है.
बुख़ारी शरीफ़ - 46
Hadees 6.
हर भलाई सदका है.
बुख़ारी शरीफ़ - 5562
Hadees 7.
हया सरापा भलाई है.
मुस्लिम शरीफ़ - 54
Hadees 8.
तुम में सबसे बेहतर सख्स वह है जो क़ुरान को सीखे और इस को सिखाए.
बुख़ारी शरीफ़ - 4639
Hadees 9.
अमल का दारो-म-दार नियत पर है.
बुख़ारी शरीफ़
Hadees 10.
फजर की दो रकअत सुन्नत दुनिया-व-माफ़ीहा से बेहतर है.
मुस्लिम शरीफ़ - 1193
Hadees 11.
दुआ इबादत का मग्ज है.
तिरमिज़ी शरीफ़ - 3293
Hadees 12.
बेहतरीन तोशा (ज़रूरी चीज़) तक़वा है.
बुख़ारी शरीफ़ - 1426
Hadees 13.
सुनी हुई बात देखी हुई बात की तरह नहीं होती.
मुसनद-अहमद शरीफ़ - 1745
Hadees 14.
मोमिन, मोमिन का आईना है.
अबूदाऊद शरीफ़ - 4272
Hadees 15.
भलाई की राह बतलाने वाले को इतना ही सवाब मिलता है, जितना इस पर चलने वाले को मिलता है.
मुसनद-अहमद शरीफ़ - 21326
Hadees 16.
आग से बचो. चाहे एक खजूर का टुकड़ा ही खैरात करके क्यों न हो.
बुख़ारी शरीफ़ - 1328
Hadees 17.
रोज़ा ढाल है.
बुख़ारी शरीफ़ - 6938
Hadees 18.
जो हम को धोखा दे वो हम में से नहीं है.
मुसनद-अहमद शरीफ़
Hadees 19.
अच्छा गुमान रखना बेहतरीन इबादत है.
अबूदाऊद शरीफ़
Hadees 20.
दुनिया मोमिन के लिए कैद खाना है और काफ़िर के लिए ज़न्नत है.
मुस्लिम शरीफ़ – 5256
Hadees 21.
अज़ान और इक़ामत के दरमियान दुआ रद्द नहीं होती.
तिरमिज़ी शरीफ़
Hadees 22.
जो चीज कम हो और काफ़ी हो वह इस ज्यादा चीज से बेहतर है, जो आदमी को अल्लाह की याद से गाफ़िल कर दे.
मुसनद-अहमद शरीफ़
Hadees 23.
किसी मुसलमान के लिए यह जायज़ नहीं है कि वह अपने मुसलमान भाई के साथ तीन दिन से ज्यादा कताअ-तआल्लुक रखे.
मुस्लिम शरीफ़ - 4644
Hadees 24.
आदमी का हश्र उस शख्स के साथ होगा, जिस इन्सान से उस को मोहब्बत होगी.
बुख़ारी शरीफ़ - 5702
Hadees 25.
जिस से मशवरह लिया जाए, उसे अमानतदार होना चाहिए.
तिरमिज़ी शरीफ़ - 2747
Hadees 26.
असल तवंगरी दिल की तवंगरी है.
बुख़ारी शरीफ़ - 4956
Hadees 27.
नेक-बख्त वह है, जो दूसरो से इबरत हासिल करे.
मुस्लिम शरीफ़ - 4783
Hadees 28.
ऊपर वाला हाथ नीचे वाले हाथ से बेहतर है. ( देने वाला हाथ लेने वाले हाथ से बेहतर है)
बुख़ारी शरीफ़ - 1338
Hadees 29.
गुनाहों से तौबा करने वाला ऐसा है गोया के उस ने कोई गुनाह ही नहीं किया.
इब्ने मज़ह - 4240
Hadees 30.
मजलिसों के लिए अमानतदारी जरुरी है.
अबूदाऊद शरीफ़
Hadees 31.
मुसलमान वह है जिस के हाथ व जुबान से दुसरे मुसलमान महफूज़ रहे.
बुख़ारी शरीफ़ - 9
Hadees 32.
जो नरमी से महरूम है वह हर भलाई से महरूम है.
मुस्लिम शरीफ़ - 4694
Hadees 33.
जो शख्स अल्लाह के लिए एक मस्जिद बनाएगा अल्लाह उस के लिए ज़न्नत में उस जैसा महल बनाएगा.
मुस्लिम शरीफ़ - 229
Hadees 34.
ज़ुल्म कयामत के दिन अंधेरों का सबब बनेगा.
बुख़ारी शरीफ़ - 2267
Hadees 35.
जो अपने को किसी गुनाह का आर दिलाता है, तो वह उस गुनाह को किए बगैर नहीं मरता.
तिरमिज़ी शरीफ़ - 2429
Hadees 36.
रिश्ता को तोड़ने वाला ज़न्नत में दाखिल नहीं होगा.
बुख़ारी शरीफ़ - 5525
Hadees 37.
चुगली करने वाला ज़न्नत में दाखिल नहीं होगा.
मुस्लिम शरीफ़ - 151
Hadees 38.
तुम में से कोई मोमिन नहीं हो सकता जबतक की वो अपने भाई के लिए वही चीज पसंद करे जो अपने लिए पसंद करता है.
बुख़ारी शरीफ़ - 12
Hadees 39.
टखना के जितना निचे कपड़ा होगा उतना हिस्सा आग में होगा.
बुख़ारी शरीफ़ - 5341
Hadees 40.
जो शख्स दो ठंढे वक्त की नमाज़े फजर और असर पढ़ेगा तो वह ज़न्नत में दाखिल होगा.
बुख़ारी शरीफ़ – 540
आप सबसे गुज़ारिश और इल्तेमास है कि इन हदीसों को अपनों तक पहुंचाएं और सालिहीन और आलिमों के साथ क़यामत में उठाये जाने का शरफ हासिल करें. मेरे और मेरे वालिदैन के लिए दुआए खैर फरमाएं.
नाचीज़- मुक़ीम शादाब, पलिया कलां खीरी उ०प्र०